Saroj Verma

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लेखनी प्रतियोगिता -10-Mar-2023(गृहलक्ष्मी)

किसी जरूरी काम से दिल्ली जाना पड़ा, 
मैं वहां अपने दोस्त राजीव के घर रूका,मेरा काम शनिवार को नहीं हो पाया और रविवार की छुट्टी पड़ गई,काम सोमवार तक के लिए टल गया, मुझे राजीव के घर दो दिन और रूकना पड़ा....
मैं राजीव के घर रूका तो राजीव बोला....
यार!कल रविवार है,कहीं घूमने चलते हैं!!
मैं बोला , ठीक है!!
राजीव के दोनों बच्चों ने ज़िद की चिड़िया घर जाने की,बस क्या था,बन गया रविवार का कार्यक्रम चिड़िया घर जाने का....
रविवार वाले दिन सुबह-सुबह भाभी जी ने उठकर घर का सारा सारा काम किया,जैसे कि वो रोज ही करतीं थीं, फिर नाश्ते में सबके लिए आलू के परांठे और चटनी बनाई और दोपहर के लिए थोड़े ब्रेड-पकौडे़ और कुछ सैंडविच बनाकर पैक कर लिए क्योंकि वे लोग बाहर का बहुत कम खाते थे....
      हम सबने नाश्ता किया और फिर हम नाश्ता कर के चिड़ियाघर की ओर निकल पड़े, चिड़िया घर के जानवरों को देखने के बाद हमने सैंडविच और ब्रेड पकोड़े खा लिए, फिर इण्डिया गेट जाने का प्रोग्राम बन गया और सब इण्डिया गेट के लिए निकल पड़े,वहाँ से वापस लौटते-लौटते सात- साढ़े सात बज गए,हम सब निढाल और थके हुए थे,ऊपर से सितंबर वाली उमस भरी गर्मी थी,फिर हम सब हाथ-मुंह धोकर और कपड़े बदलकर टीवी देखने बैठ गये....
      लेकिन मैनें देखा कि भाभी जी घर आकर एक पल को भी नहीं बैठी ,वें फिर से काम में लग गईं और उन्होंने सब के लिए रूह-अफ-जा का शरबत बनाया और हम सबको शरबत देने के बाद वें बोली...
मैं जा रही हूंँ, चेन्ज करके बर्तन भी धोने है और खाना भी बनाना है...
      तब मैंने उनसे कहा....
भाभी जी !आप भी शरबत पी लीजिए फिर जाइए और काम करने....
    मेरे कहने पर एक मिनट बैठकर उन्होंने शरबत पिया फिर अपना काम करने चली गई....
वो जैसे ही चेन्ज करके और बर्तन धुलकर सब्जी काटने बैठी ही थी कि राजीव ने कहा चाय बना दो,वो चाय चढ़ाकर आई फिर जब तक उन्होंने सब्जी काटी,चाय बन गई,वो हम दोनों के लिए चाय छानकर ले आईं....
हम सब टीवी देखते रहे ए. सी.वाले कमरे में ,तब तक उन्होंने खाना बनाकर टेबल पर लगा दिया और सलाद काटने लगी, उन्होंने राजीव से सिर्फ इतना कहा कि आप जरा फ्रिज से पानी की बोतल निकालकर जग में भर लीजिए.....
    उनकी इतनी बात सुनकर राजीव भड़ककर बोला...,
हांँ... हांँ...कल से घर का झाड़ू-पोछा भी करता हूं,बस मेरे लिए इतना ही तो रह गया है,नौकर समझ रखा है क्या मुझे.....
     मुझसे ये सब देखा ना गया और मैंने राजीव से  कहा कि .....
राजीव! कैसी बातें कर रहा है?मैं जब से यहाँ आया हूँ तबसे देख रहा हूँ कि भाभी कितना काम करती हैं, मेरी बात सुनकर राजीव बोला, 
इसे तो आदत है....
   राजीव की बात सुनकर अब मुझे बहुत गुस्सा आया और मैनें उससे कहा.....
          पता है तुझे कि एक औरत कितना काम करती है,सबका कितना ख्याल रखती है,वो घर और घरवालों के लिए कितना सोचती है,हम तो रविवार वाले दिन पसर के बैठे रहते हैं कि आज हमारी छुट्टी है लेकिन वो तो रविवार को भी छुट्टी नहीं लेती ना चाहते भी वो काम करती है और हम यह कहकर टाल देते हैं कि इसे तो आदत है,उसे आदत नहीं है,वो अपने परिवार और उस घर को ही अपना सबकुछ मानती है,तभी ऐसा करती है,वो घर की लक्ष्मी है वो इतना करती है तभी तो घर में बरकत रहती है,इसलिए कभी भी घर की लक्ष्मी का आपमान करने की भूल मत करना,ये तुम्हारे घर की गृहलक्ष्मी हैं और इन्होंने ने पूरे घर की जिम्मेदारी अपने काँधों पर ले रखी है....
    मेरी बात सुनकर राजीव को कुछ अकल आई और उसने भाभी से माँफी माँगते हुए कहा....
मुझे माँफ कर दो ,आज के बाद मैं कभी भी अपनी गृहलक्ष्मी का अपमान नहीं करूँगा....
   और भाभी ने मुस्कुराते हुए राजीव से कहा.....
आपको माँफी माँगने की जरूरत नहीं है,आपको अपनी गलती का एहसास हो गया ,मेरे लिए इतना ही काफी है.....
    और फिर हम सब खुश होकर खाना खाने बैठ गए.....

समाप्त...
सरोज वर्मा___

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7 Comments

Sushi saxena

14-Mar-2023 08:27 PM

Nice

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Gunjan Kamal

12-Mar-2023 09:07 AM

सुंदर प्रस्तुति

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